ranvirsinghguliaFeb 20, 20211 min readप्रेरणा डरता हूँ कुछ कुछ शब्दजाल में लपेट कर तुमको सीमित न कर दूँ अपनेको डरता हूँ कुछ कुछ अलंकारों से सजाकर तुमको विचलित न कर बैठूं स्वयं को डरता हूँ कुछ कुछ सहज हो तुम सरल हो तुम आँखों में छिपीनभ को चीरती ज्योति हो तुम प्रेरणा हो तुम
डरता हूँ कुछ कुछ शब्दजाल में लपेट कर तुमको सीमित न कर दूँ अपनेको डरता हूँ कुछ कुछ अलंकारों से सजाकर तुमको विचलित न कर बैठूं स्वयं को डरता हूँ कुछ कुछ सहज हो तुम सरल हो तुम आँखों में छिपीनभ को चीरती ज्योति हो तुम प्रेरणा हो तुम
कल आज और कलआज परिणाम है कल का कल परिणाम होगा आज का आज को सुंदर से सुन्दरतर बनाने की चाह में विकृत किया मानव ने कल को पूर्व व पुनर्जन्मों में स्वयं...
विश्वासविश्वास है यदि कुछ तो वह केवल आत्म-विश्वास ज्ञान आधारित जिसका जन्म और विकास ज्ञान के लिए केवल पुरुषार्थ नहीं तो है अंध-विश्वास महानतम...
क्षमा करो क्षमा करो और भूल जाओ मान क्षमा को शक्ति गुण गाओ व अपनाओ पहनकर क्षमा परिधान स्वयं को समझना महान किसी धूर्त की वंचिका है यह किसी अपराधी की...
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