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प्रेरणा

  • ranvirsinghgulia
  • Feb 20, 2021
  • 1 min read

डरता हूँ कुछ कुछ

शब्दजाल में लपेट कर तुमको

सीमित न कर दूँ अपनेको


डरता हूँ कुछ कुछ

अलंकारों से सजाकर तुमको

विचलित न कर बैठूं स्वयं को

डरता हूँ कुछ कुछ


सहज हो तुम

सरल हो तुम

आँखों में छिपी

नभ को चीरती

ज्योति हो तुम

प्रेरणा हो तुम


 
 
 

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