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तू मेरे लिए मैं तेरे लिए

  • ranvirsinghgulia
  • Dec 31, 2020
  • 1 min read

Updated: Jan 2, 2021

कहाँ से चलूँ जीवन यदि शाश्वत है तो किसी मोड़ पर

हम बिछडे ही कब थे कोई क्षण था ही नहीं ऐसा जब तू मेरे लिए और

मैं तेरे लिए

तरसे ना थे


और यदि कल ही शुरू हुआ है यह सफ़र


तो अपनी हर धड़कन से पूछ मेरी हर धड़कन से सुन

और सच बता मेरे मीत

क्या नहीं गा रही तू गीत तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए

ये तरस, ये गीत की मीठी चुभन हम जन्मों से लूटते आये हैं हंस हंस कर तू ने मेरी झोली और मैने तेरी झोली मुक्त हाथों से भरी है अब आ उंडेल दे ये झोली

तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए वक्त की कसक भला कब आई है तेरे मेरे बीच तेरे आगोश की भीनी महक तेरी आवाज़ की पुरज़ोर कशिश मेरा झनझनाता रोम रोम

सुन रानू सुन

सुन प्रिये

तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए


६० के दशक में एक पत्रोत्तर जब सैन्य सेवा कारणों से साथ नहीं रह सकते थे




 
 
 

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