कहाँ से चलूँ जीवन यदि शाश्वत है तो किसी मोड़ पर
हम बिछडे ही कब थे कोई क्षण था ही नहीं ऐसा जब तू मेरे लिए और
मैं तेरे लिए
तरसे ना थे
और यदि कल ही शुरू हुआ है यह सफ़र
तो अपनी हर धड़कन से पूछ मेरी हर धड़कन से सुन
और सच बता मेरे मीत
क्या नहीं गा रही तू गीत तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए
ये तरस, ये गीत की मीठी चुभन हम जन्मों से लूटते आये हैं हंस हंस कर तू ने मेरी झोली और मैने तेरी झोली मुक्त हाथों से भरी है अब आ उंडेल दे ये झोली
तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए वक्त की कसक भला कब आई है तेरे मेरे बीच तेरे आगोश की भीनी महक तेरी आवाज़ की पुरज़ोर कशिश मेरा झनझनाता रोम रोम
सुन रानू सुन
सुन प्रिये
तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए
६० के दशक में एक पत्रोत्तर जब सैन्य सेवा कारणों से साथ नहीं रह सकते थे
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