ज़रा याद कर चुन चुन कर
- ranvirsinghgulia
- Jan 3, 2021
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Updated: Mar 6, 2021
याद कर
जब तेरी नज़रों ने झरोके से झांक कर

पहली चोरी की थी तेरे कंपकपाते हाथों में माला थी और मैंने बंदगी की थी
झुक कर
ज़रा याद कर चुन चुन कर
फिर तेरे हाथ ने
मेरे हाथ से कुछ कहा था
तेरी बोझिल सी पलकें
उठ नहीं पा रही थी
सिहर कर
ज़रा याद कर चुन चुन कर
राह चलते तेरे पैरों को अपने समझ कर कुछ इस तरह हिला दिया था मैंने कि तू गिर पड़े मेरी बाहों में संभल कर ज़रा याद कर चुन चुन कर
किसी के आने की चाप
और तेरी धड़कनें बढ़ गई थी
फिर तू ने झरोका बनाया था और फिर तू ने चोरी की थी अपने दिल पर हाथ रख कर ज़रा याद कर चुन चुन कर
चोरी का ये खेल हम खेलते रहे और मैं ने तुतला कर धमकी दी थी कड़ियाँ जुड़ती रही . हम बँधते रहे और धमकी बेबसी बन गई अब मुझे ये बता मेरे मीत हम बिछड़े ही कब थे ज़रा निहार कर अब याद कर चुन चुन कर
७० के दशक में एक पत्रोत्तर जब सैन्य सेवा कारणों से साथ नहीं रह सकते थे
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