क्या, क्यूँ और कैसे नहीं जानती मैं
जानना भी नहीं चाहती मैं
भय उत्पन्न भय ग्रस्त चिर स्थायी
चमत्कार में विश्वास मनोवृत्ति मैं
भयग्रस्त रखती मानव को
भय तो जीवन है विश्वास दिलाती मैं
निमित्त है कुछ भोजन का
धर्म है मेरा
उत्पीड़न भोले मन का
भय मुक्ति के लिए मेरी सहेली जिज्ञासा
क्या, क्यूँ और कैसे नहीं जानती मैं
पर जानना चाहती मैं
भय उत्पन्न चिर स्थायी
भयग्रस्त नहीं चाहती रहना मैं
जिज्ञासा की मनोवृत्ति मैं
चल पड़ीं खोजने
कभी खोज लिया कभी ठिटक गई
और भयमुक्त हुई
लो जान गई मैं कारण
भय पशु पक्षी का जीवन
सीमित क्षमता ज्ञान अपार
निष्कर्ष सही नहीं होंगे हर बार
पलपल पगपग रहेंगे चमत्कार
खोज निरंतर साधन
खोज निरंतर कारण
यदि जीवित रखना है जीवन
नियति हैं खोज व चमत्कार
खोज ही केवल भयमुक्त उपचार
विश्वास आलसी भयग्रस्त अंधकार
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