ranvirsinghguliaJan 10, 20211 min readएक ही समय मेंएक ही समय में जीवित भी मैं मृत भी मैंएक ही समय में सुप्त भी मैं जागृत भी मैंसहज बहकाने को ध्यान की यह अन्तिम सीमा वे कहते हैं इसे समाधि नहीं करेंगे स्वीकार इसे एक निरुपचार व्याधि
एक ही समय में जीवित भी मैं मृत भी मैंएक ही समय में सुप्त भी मैं जागृत भी मैंसहज बहकाने को ध्यान की यह अन्तिम सीमा वे कहते हैं इसे समाधि नहीं करेंगे स्वीकार इसे एक निरुपचार व्याधि
कल आज और कलआज परिणाम है कल का कल परिणाम होगा आज का आज को सुंदर से सुन्दरतर बनाने की चाह में विकृत किया मानव ने कल को पूर्व व पुनर्जन्मों में स्वयं...
विश्वासविश्वास है यदि कुछ तो वह केवल आत्म-विश्वास ज्ञान आधारित जिसका जन्म और विकास ज्ञान के लिए केवल पुरुषार्थ नहीं तो है अंध-विश्वास महानतम...
क्षमा करो क्षमा करो और भूल जाओ मान क्षमा को शक्ति गुण गाओ व अपनाओ पहनकर क्षमा परिधान स्वयं को समझना महान किसी धूर्त की वंचिका है यह किसी अपराधी की...
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