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एक ही समय में

  • ranvirsinghgulia
  • Jan 10, 2021
  • 1 min read

एक ही समय में

जीवित भी मैं मृत भी मैं

एक ही समय में

सुप्त भी मैं जागृत भी मैं

सहज बहकाने को

ध्यान की यह अन्तिम सीमा

वे कहते हैं इसे समाधि


नहीं करेंगे स्वीकार

इसे एक निरुपचार व्याधि










 
 
 

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