जीवन
- ranvirsinghgulia
- May 11, 2021
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भिन्न रूप हैं जीव के दृष्ट अदृष्ट विशाल अणु
मानव वनस्पति कीट पतंग पक्षी पशु
निर्भर है जो पोषण पर
वायु जल व भोजन पर
दृष्ट रूप में मुख का आकार
करता निश्चित भोजन प्रकार
जन्म लेती हैं असंख्य प्रजाति निशिदिन
मृत होती है असंख्य प्रजाति निशिदिन
बना रहता है प्रकृति संतुलन
नियम है एक दूजे का भोजन
धर्म है मानव का जीवन पालन
पर पालन बन जाता है यापन
और बन जाते है साधन
वायु जल और भोजन
मूल्य श्रेणी से होता आंकलन
दूषित होते प्रकृति साधन
विकृत हो जाती है व्याख्या
जन्म होता है भ्रष्टाचार का
मानव रचना विकास प्रकार
इंगित करता केवल शाकाहार
मानव के लिए नहीं सामिष भोजन
यदि रखना है प्रकृति संतुलन
पर मानव करता प्रचार
इसे बचाओ उसे बचाओ
और स्वयं करता संहार लाखों जीवन का
केवल भोजन के लिए नाम संतुलन का
प्रजातियाँ नष्ट होती रहती हैं
प्रजातियाँ जन्म लेती रहती हैं
पर मानव संख्या बढती रहती है
नहीं जानता मानव किस प्रजाति के लिए
वह हो रहा तैयार भोजन बनने के लिए
जीवन लक्षण है जीव का
भोजन है जीव जीव का
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